Monday 22 May 2017

➨ प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ

➨ प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ

प्रसिद्ध हिन्दी कहावतें तथा लोकोक्तियाँ

1.
मानो तो देव, नहीं तो पत्थर – विश्वास ही फलदायक
2.
आम का आम गुठली का दाम – सब तरह से लाभ-ही-लाभ
3.
घर की मुर्गी दाल बराबर – घर की वस्तु का कोई आदर नहीं करना
4.
बिल्ली के भाग्य से छींका ​(सिकहर) टूटा – संयोग अच्छा लग गय
5.
ऊँचे चढ़ के देखा, तो घर-घर एकै लेखा – सभी एक समान
6.
रोजा बख्शाने गये, नमाज लगे पड़ी – लाभ के बदले हानि
7.
मुँह में राम, बगल में छुरी – कपटी
8.
इस हाथ दे, उस हाथ ले – कर्मों का फल शीघ्र पाना
9.
मोहरों की लूट, कोयले पर छाप – मूल्यवान वस्तुओं को छोड़कर तुच्छ वस्तुओं पर ध्यान देना
10.
गुड़ खाय गुलगुले से परहेज – बनावटी परहेज
11.
नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े – गुण से अधिक बड़ाई
12.
लश्कर में ऊँट बदनाम – दोष किसी का, बदनामी किसी की
13.
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे अपराधी ही पकड़नेवाली को डाँट बताये
14.
दुधारु गाय की दो लात भी भली – जिससे लाभ होता हो, उसकी बातें भी सह लेनी चाहिए
15.
बैल का बैल गया नौ हाथ का पगहा भी गया – बहुत बड़ा घाटा
16.
ऊँट के मुँह में जीरा – मरूरत से बहुत कम
17.
रहेगा बाँस, बजेगी बाँसुरी – झगड़े के कारण को नष्ट करना
18.
भैंस के आगे बीन बजावे, भैंस रही पगुराय – मूर्ख को गुण सिखाना व्यर्थ है
19.
खेत खाये गदहा, मार खाये जोलहा – अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को
20.
बेकार से बेगार भली – चुपचाप बैठे रहने की अपेक्षा कुछ काम करना
21.
खरी मजूरी चोखा काम – अच्छे मुआवजे में ही अच्छा फल प्राप्त होना
22.
नौ की लकड़ी नब्बे खर्च – काम साधारण, खर्च अधिक
23.
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटेमिया सुभान अल्लाह – बड़ा तो जैसा है, छोटा उससे बढ़कर है
24.
एक पंथ दो काज – एक नहीं, दो लाभ
25.
दूध का जला मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीता है – एक बार धोखा खा जाने पर सावधान हो जाना
26.
बोये पेड़े बबूल के आम कहाँ से होय – जैसी करनी, वैसी भरनी
27.
एक तो चोरी दूसरे सीनाजोरी – दोष करके मानना
28.
नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य से हानि
29.
भइ गति साँप-छछूँदर केरी – दुविधा में पड़ना
30.
कबीरदास की उलटी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी – प्रकृतिविरुद्ध काम
31.
नाचे कूदे तोड़े तान, ताको दुनिया राखे मान – आडम्बर दिखानेवाला मान पाता है
32.
तीन कनौजिया, तेरह चूल्हा – जितने आदमी उतने विचार
33.
पानी पीकर जात पूछना – कोई काम कर चुकने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना
34.
खोदा पहाड़ निकली चुहिया – कठिन परिश्रम, थोड़ा लाभ
35.
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पराधीनता में सुख नहीं
36.
घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा – हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान देना
37.
कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा – इधर-उधर से सामान जुटाकर काम करना
38.
पराये धन पर लक्ष्मीनारायण – दूसरे का धन पाकर अधिकार जमाना
39.
थूक कर चाटना ठीक नहीं – देकर लेना ठीक नहीं, बचन-भंग करना, अनुचित
40.
गाछे कटहल, ओठे तेल – काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा
41.
गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा – पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढ़ना
42.
गरजे सो बरसे नहीं – बकवादी कुछ नहीं करता
43.
घर का फूस नहीं, नाम धनपत – गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना
44.
घर की भेदी लंका ढाए – आपस की फूट से हानि होती हे
45.
घी का लड्डू टेढ़ा भला – लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों हो
46.
चोर की दाढ़ी में तिनका – जो दोषी होता है वह खुद डरता रहता है
47.
पंच परमेश्वर – पाँच पंचों की राय
48.
तीन लोक से मथुरा न्यारी – निराला ढंग
49.
तुम डाल-डाल तो हम पात-पात – किसी की चाल को खूब समझते हुए चलना
50.
धोबी का कुत्ता घर का घाट का – निकम्मा, व्यर्थ इधर-उधर डोलनेवाला

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